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अगर किसान के हितों के बारे में सोचने वाले लोगों के विचारों को सुनो तो उनके बयानों में साफ-साफ यह नजर आता है कि ये वहीं नेता है जिनके कार्यकाल और सत्ता के समय किसान के हितों की जमकर अनदेखी की जाती रही है लेकिन अगर असल मायने में यह देखा जाए तो यह आंदोलन सरकार और किसानों के बीच का है और जायज़ भी है क्योंकि हितो की रक्षा करना परम कर्तव्यों में शामिल होता है।
किसी भी स्थिति में भारत के हर नागरिक को यह अधिकार है कि वह अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठाये लेकिन बीते वर्षों के राजनीति घटनाक्रम का अवलोकन किया जाए तो यहीं राजनीति पार्टियां सत्ता में होने पर आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज जैसे बल का प्रयोग करने में भी नहीं सकुचाती थी।
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