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ठूंस-ठूंस कर भेजे जा रहे 33 मवेशियों को मिला जीवनदान
गोंदिया गौवध और गौ-तस्करी पर महाराष्ट्र में कड़े कानूनों के बावजूद बेजूबान जानवरों की अवैध रूप से खरीद-फरोख्त कर उन्हें वाहनों में कू्ररता से लादकर नागपूर, अकोला, हैदराबाद व अन्य बड़े शहरों के बूचड़खानों तक पहुंचा दिया जाता है।
खबरी से मिली पुख्ता जानकारी के बाद देवरी पुलिस ने 30 जनवरी शनिवार के दोपहर चिचगड़ टी-पाईंट चौराहे पर मोर्चा संभाला।
पुलिस ने नाकाबंदी के दौरान ट्रक क्र. सी.जी. 15/ए. 7417 को रोकने की कोशिश की , लेकिन ट्रक चालक ने ट्रक की रफ्तार बढ़ाते हुए स्टेरिंग आमगांव रोड की ओर मोड़ दिया जिसपर सहायक पुलिस निरीक्षक कदम और उनकी टीम ने फिल्मी स्टाइल में ट्रक का पीछा करते हुए ग्राम लोहारा के पास ट्रक को ओवरटेक कर वाहन रोकने में कामयाबी हासिल की , जब ट्रक चालक से उसका नाम पूछा गया तो उसने अपना नाम मो. नसीम मो. यासीम अंसारी (30 रा. हमीदनगर नागपूर) बताया।
नागपूर, अकोला, हैदराबाद के लिए होती है पशु तस्करी
जब पुलिस टीम ने तालपत्री से ढके ट्रक की जांच की तो उसमें लाल, काले और सफेद रंग के गाय-बैल एैसे 33 मवेशी पाए गए जिन्हें अवैध रूप से नागपूर के कत्लखाने ले जाया जा रहा था, वह भी बिना किसी चारे पानी के प्रावधान और बिना चिकित्सीय प्रमाणपत्र प्राप्त किए क्रूरतापूर्वक उन्हें ट्रक में ठूंस-ठूसकर लादा गया था।
जानवरों को अवैध रूप से ले जाने का खुलासा होने के बाद पुलिस अधीक्षक विश्व पानसरे तथा उपविभागीय पुलिस अधिकारी जालिंदर नालकूल के मार्गदर्शन तथा देवरी थाना प्रभारी अजीत कदम के नेतृत्व में मवेशी लदे ट्रक को जब्त कर उसे देवरी थाने लाया गया।
बरामद 33 मवेशियों की कीमत 1 लाख 65 हजार तथा ट्रक की कीमत 10 लाख इस तरह कुल 11 लाख 65 हजार का माल हस्तगत करते हुए इस प्रकरण के संदर्भ में पुलिस ने आरोपी ट्रक डाइवर मो. नसीम अंसारी के खिलाफ धारा 11 (1), (ड), प्राणी निदर्यता पूर्वक यातायात अधिनियम 1960, सहकलम 5 (अ), 9, महाराष्ट्र राज्य प्राणि संरक्षण कानून 1995, सहकलम 184 मोवाका के तहत जुर्म दर्ज किया गया है।
पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारीनुसार उक्त मवेशियों को छत्तीसगढ़ के पड़ोसी जिले के किसानों से औने-पौने दामों पर खरीदकर चिचगड़ मार्ग से होते हुए उन्हें नागपूर के कत्लखाने की ओर भेजा जा रहा था। बहरहाल आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है। मामले के आगे की जांच पोउपनि उरकुड़े कर रहे है।
– रवि आर्य
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