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आजाद भारत मे पहली महिला कैदी को होगी फाँसी, रस्सी का हो चुका है ऑर्डर


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यह माह प्रेम का है जिसमे प्रेमी प्रेमिका सात जन्मों तक जीने मारने की कसमें खाते है लेकिन इसी माह में प्रेम को कलंकित करने वाली शबनम को उसके आखिरी अंजाम तक पहुंचाने की कवायद शुरू हो चुकी है। शबनम के अपराध को जानने के लिए हमें लगभग एक दशक पहले जाना होगा, सन 2008 का साल और इस साल की 14-15 अप्रैल की मध्य रात्रि, जो अपने काले स्वरूप के अलावा तब और भी भयावह हो गयी जब यह जानकारी मिली कि अमरोहा के हसनपुर कस्बे से सटे छोटे से गांव बावनखेड़ी में एक ही परिवार के सात सदस्य हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिये गए। इस मामले में मुख्य आरोपी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, माँ हाशिमा, भाई राशिद और अनीश, भाभी अंजुम और छोटी बहन राबिया को कुल्हाड़ी की मदद से सोते वक्त ही काट दिया। यही नही शबनम ने बेहद छोटे भतीजे अर्श को भी अपना जानी दुश्मन समझ कर गला घोंट कर मार दिया

हालाँकि इन ह्रदय विदारक हत्याओं के पीछे महज एक वजह थी घर वालों का प्रेमी सलीम से ज्यादा नजदीकियां बढ़ाना, दरअसल शबनम के घर वाले सलीम की हरकतों से वाकिफ थे और उन्हें शबनम के भविष्य की चिंता थी इसलिए शबनम को बार बार टोका जाता रहा। आखिरकार शबनम ने थक हार कर घर के सभी सदस्यों को कत्ल करने का निर्णय लिया और वह अपने मकसद में कामयाब भी हुई।


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