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हिमालय क्षेत्र में कृषि के पिछड़ेपन के कारण रोजगार की तलाश में पलायन एक बड़ी चुनौती


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देहरादून : दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में फ्रांस दूतावास के श्री स्तेफान क्रुंजा तथा श्री एमान्युऐल लंब्र दामीयां ने दून विश्वविद्यालय में संचालित फ्रेंच भाषा के साथ-साथ अन्य विषयों जैसे जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर, हिमालय इत्यादि विषयों के साथ फ्रांस के विश्वविद्यालय में शोध एवं अध्ययन हेतु द्विपक्षीय समझौतों के संदर्भ में फ्रांस दूतावास के अधिकारियों ने काफी दिलचस्पी दिखाई और कुलपति प्रोफेसर सुरक्षा डंगवाल से इन विषयों में शोध व अध्ययन हेतु निकट भविष्य में करार की पेशकश की।

फ्रांस के अधिकारियों ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय में अध्ययन हेतु छात्रों को फैलोशिप फॉर छात्रवृत्ति योजनाएं भी संचालित हैं जिनका वे विद्यार्थी लाभ ले सकते हैं जो वहां के विश्वविद्यालय में अध्ययन के इच्छुक हों।

कुलपति प्रोफेसर डंगवाल ने कहा कि दून विश्वविद्यालय में फ्रांस भाषा के साथ-साथ कई विदेशी भाषाओं का अध्यापन कराया जाता है। साथ ही हिमालय परिक्षेत्र में शोध व अध्ययन के लिए डॉक्टर नित्यानंद हिमालयन केंद्र भी स्थापित है।

जिसके तहत राज्य की भौगोलिक परिस्थिति के अनुरूप विकास के मानक निर्धारित करने में सहायता मिलेगी। इस अवसर पर प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं हेमंत नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो एस० पी० सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज एक बहुत बड़ा शोध का विषय है और इसको समझने के लिए हिमालय को समझना आवश्यक है।

वैश्विक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन से कृषि की उत्पादकता बहुत बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रही है। हिमालय क्षेत्र में कृषि के पिछड़ेपन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में से बड़ी संख्या में मानव संसाधनों का रोजगार की तलाश में पलायन एक बड़ी चुनौती है।

साथ ही ग्लेशियरों के पिघलने से मानसून में परिवर्तन, सूखा, पेयजल संकट, वनाग्नि, प्राकृतिक आपदाएं इत्यादि समस्याओं के साथ-साथ दैनिक जीवन की समस्याएं भी जुड़ी हैं और इसके समाधान के लिए एक संयुक्त शोध संचालित करने की आवश्यकता है। जिसके लिए विश्वविद्यालयों को आगे आना होगा।

प्रसिद्ध भूगर्भ विज्ञानी नवीन जैन ने कहा कि ग्लेशियर का पिघलना या सिकुड़ना वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं।

उन्होंने लद्दाख, कैलाश, गंगोत्री, भूटान सहित कई हिमालय परीक्षेत्र के ग्लेशियरों की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि विश्वविद्यालय का डॉक्टर नित्यानंद हिमालय अध्ययन व शोध केंद्र इस दिशा में अध्ययन के लिए कदम उठाएगा।

इस अवसर पर विवि के प्रोफेसर एच सी पुरोहित, डॉ० मंगल सिंह मंद्रवाल, प्रो० हर्ष डोभाल, श्री नरेंद्र लाल, श्री वरुण देव शर्मा, शुभ्रा कुकरेती आदि शिक्षक व अधिकारी मौजूद थे।


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