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सरकार के कान के नीचे प्रदूषण का कहर इस क़दर का है कि आम जनता बेहाल है और सरकारी विभाग प्रदूषण को कम करने के चाहे लाख दावे कर रहे हों, लेकिन वे अपने वादों को कितनी शिद्दत से पूरा कर रहे हैं उसकी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है।
राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर वर्षों से ठीक नही है इसी में कोरोना का बढ़ता कहर भी सरकार के लिए चुनौती का विषय है कि लोग ठीक तरह से सांस भी नहीं ले पा रहे हैं। प्रदूषण से बचने के लिए आम लोग व सरकार तरह-तरह के उपाय भी कर रही हैं परन्तु इसके उलट प्रशासनिक अमला के कान के ऊपर जूं तक नही रेंग रही ।
अबुल फजल एनक्लेव जामिया नगर में अवैध निर्माण खुले में बदस्तूर जारी है और इसको लेकर के आम शहरी अगर शिकायत भी करता है तो उसकी शिकायत को नजरअंदाज करते हुए स्थानीय प्रशासन कुछ भी करने के बजाय शिकायत कर्ता को ही समझा रहे हैं। आखिर दिल्ली नगर निगम और पुलिस प्रशासन किसके दबाव में आकर अवैध निर्माणों को प्रश्रय दे रहा है ।
खुले में भवन निर्माण कार्य और धूल के कारण बढ़ता प्रदूषण वहाँ के निवासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है ।
सड़कों पर पड़ी भवन निर्माण सामग्री अबूल फजल के वातावरण में प्रदूषण घोल रही है। आम लोगों का कहना है कि देश में प्रदूषण को कम करने के लिए न जाने कितने कानून बने हुए हैं, लेकिन उन कानूनों पर अमल कितना हो रहा है इसका नतीजा आज सभी के सामने है।
सरकारी विभाग तब तक कार्रवाई नहीं करते जब तक उनके पास शिकायत नहीं जाती, और अगर शिकायत जाती भी है तो उसे दबा दिया जाता है लेकिन इन दिनों प्रदूषण के जो हालात है क्या इस पर सरकारी विभागों के अधिकारियों को जरा भी गंभीरता नहीं दिखानी चाहिए। इसमें नगर निगम के साथ प्रशानिक अमला भी प्रदूषण कम करने के लिए NGT और दिल्ली सरकार का साथ नहीं दे रही। यह दिल्ली वासियों के लिए चिंता का विषय है ।
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